Thursday, October 25, 2018

दिव्यांका त्रिपाठी ने कहा-मेरे साथ कुछ होता इससे पहले मैं वहां से निकल गई

भोपाल में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची दिव्यांका त्रिपाठी ने मीटू मूवमेंट पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा-मीटू एक बहुत अच्छा कैंपेन है, इसकी फिल्म इंडस्ट्री को बहुत ज्यादा जरूरत थी। यह बात सही है कि इस कैंपेन में वो लोग भी फंसाए जा रहे हैं, जो सही हैं। कुछ बेगुनाह भी इसकी चपेट में आ गए हैं, लेकिन इस जंग के कारण आगे जरूर कुछ अच्छा होने वाला है। 

पहले लड़कियों को रोक दिया जाता था:  दिव्यांका ने कहा कि मैं समझती हूं कि लड़कियां कम से कम आवाज तो उठा रही हैं, क्योंकि एक समय ऐसा होता था, जब कोई लड़की आ‌वाज उठाती, तो उसे रोक दिया जाता था। उससे कहते थे कि मैडम आप क्या बात कर रही हैं, इंडस्ट्री में ऐसा ही होता है। यदि आपने कुछ कहा तो देखिएगा आपको काम नहीं मिलेगा आगे। इस तरह से इंडस्ट्रीज में काम करने वाली लड़कियों को डरा दिया जाता था।

मेरे साथ कुछ ऐसा होता, उसके पहले ही मैं वहां से निकल गई : दिव्यांका ने कहा कि छोटे शहरों की लड़कियां या तो परिवार की सहमति से मुंबई जाती है, या तो फिर बिना सहमति के, क्योंकि उनमें कला होती है। जब वो बिना किसी की सहमति के ऐसे शहर में पहुंचें और दुनिया बोले कि भाई बिना कंप्रोमाइज के तो आप चल नहीं सकते, तो फिर इस तरह के कैंपेन का होना तो लाजमी है।

लेकिन एक बात सच है कि अब इंडस्ट्री का कोई भी मेल-फीमेल किसी के साथ गलत करने से 10 हजार बार सोचेगा। दिव्यांका ने कहा कि मेरे साथ भी ऐसा कुछ होता मैं उसके पहले ही वहां से निकल गई।

उन्होंने कहा, ऐसी सिचुएशन का सामना हर एक्ट्रेस को करना पड़ता है। मीडिएटर फीमेल एक्टर को इस बात के लिए इस तरह कन्वेंस करते हैं कि ऐसा नहीं किया तो यहां काम ही नहीं मिलेगा। नई लड़कियों को इसे इंडस्ट्री का उसूल बताया जाता है कि यहां ऐसा ही चलेगा। सब उन्हें इस कदर विश्वास दिलाते हैं कि अाप किन रूढ़ीवादितों में फंसी हैं।

यह तो कुछ नहीं है, बड़ी से बड़ी एक्ट्रेस भी ऐसा ही करती हैं। इस तरह एक्ट्रेस का पूरी तरह ब्रेन वॉश कर दिया जाता है। चूंकि नई लड़कियों के पास काम नहीं होता, सपोर्ट नहीं होता, मजबूर होती हैं तो वे टेकन फॉर ग्रांटेड का फायदा उठाते हैं। वो एक्टर बनने के लिए घर परिवार सब छोड़कर आती हैं, नहीं बन पाती है तो उन्हें मजबूरी में यह करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, शोषण के खिलाफ एक्ट्रेस के आवाज के बाद अब ऐसा माहौल बना है कि कोई कुछ करने से पहले तीन बार सोचेगा। मी टू कैंपेन डिमोनिटाइजेशन जैसा है। नोटबंदी की तरह इससे शुरुआती दौर में परेशानियां हो सकती हैं लेकिन अंत में इसका फायदा इंडस्ट्री को ही मिलेगा और निष्कर्ष अच्छा ही होगा।

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